आज हम जानेंगे एसी और डीसी में अंतर क्या है (What is difference between Alternating Current and Direct Current in Hindi), के बारे में पूरी जानकारी। आपने देखा होगा कि कुछ जगह पर हम डायरेक्ट लाइट का इस्तेमाल कर लेते हैं, परंतु कुछ जगह पर लाइट का इस्तेमाल हमें अलग तरीके से करना पड़ता है। जैसे कि जो चीजें एसी करंट से चलती है, उन्हें हम डायरेक्ट अपने घर के प्लग में लगा सकते हैं और उन्हें ऑपरेट कर सकते हैं। परंतु जो चीजें डीसी करंट से चलती है, उन्हें चलाने में हमें काफी सावधानी रखनी पड़ती है।
एसी करंट की ताकत बहुत ही ज्यादा होती है और यह बिजली के खंभे में होती है और एसी करंट ही हमारे घरों में अधिकतर इस्तेमाल में लिया जाता है। वही डीसी करंट बैटरी के जरिए या फिर इनवर्टर के जरिए इस्तेमाल में लिया जाता है। इन दोनों का नाम आपस में काफी मिलता है। इसीलिए कई लोग इसे एक ही समझ लेते हैं, परंतु इन दोनों के बीच काफी अंतर है। इसलिए हम इस आर्टिकल में आपको “एसी और डीसी में अंतर क्या है” इसकी जानकारी दे रहे हैं। तो आज के लेख में हमसे जुड़े रहे और जाने एसी और डीसी से जुड़ी हुई सभी जानकारियां विस्तार से वो भी हिंदी में, इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
AC क्या है? – What is Alternating Current in Hindi?
अंग्रेजी भाषा में इसको अल्टरनेटिंग करंट कहते है और हिंदी भाषा में इसे प्रत्यावर्ती धारा कहकर उच्चारित किया जाता है। अल्टरनेटिंग करंट अपनी डायरेक्शन और वैल्यू एक निश्चित टाइम के पूरा हो जाने के पश्चात ही चेंज करता है और इसी लिए अल्टरनेटिंग करंट के नाम से इसे जाना जाता है। इसके जरिए भारी मात्रा में करंट वोल्ट पैदा किया जा सकता है। अल्टरनेटिंग करंट के जरिए तकरीबन 33000 वोल्ट की बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
इसे किसी भी जगह पर भेजा जा सकता है, साथ ही इसका जो वोल्टेज होता है, उसे जरूरत के हिसाब से कम ज्यादा भी कर सकते हैं। अल्टरनेटिंग करंट को आसानी के साथ जनरेट कर लिया जाता है। इसीलिए यह ज्यादा महंगा भी नहीं होता है। इसका सबसे बड़ा बेनिफिट यह है कि ट्रांसफार्मर की सहायता से इसे कम और ज्यादा किया जा सकता है। इसलिए इसे भले ही किसी निश्चित जगह पर पैदा किया जाए, परंतु इसे आसानी के साथ दूर तक तारों के जरिए भेजा जा सकता है।
मशीन, ड्रिल मशीन और दूसरे इंजीनियरिंग से संबंधित उपकरण को चलाने में अल्टरनेटिंग करंट का ही इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही हमारे घर में जो सामान इस्तेमाल होते हैं जैसे कि इंडक्शन, वाटर पंप, कूलर, एलसीडी – एलइडी टीवी, माइक्रोवेव ओवन, मिक्सर, ग्राइंडर, जूसर, पंखा इत्यादि भी अल्टरनेटिंग करंट की सहायता से ही चलते हैं।
एसी करंट को एक राउंड पूरा करने में जो टाइम लगता है, उसे टाइम पीरियड कहा जाता है और आपने ऊपर यह जान ही लिया है कि ट्रांसफार्मर की सहायता से इसके वोल्टेज को कम और ज्यादा किया जा सकता है। इसे काफी दूर तक भेज भी सकते हैं। इसलिए एसी करंट को पैदा करने के बाद बिजली के खंभे के द्वारा घर-घर तक पहुंचाया जाता है।
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DC क्या है? – What is Direct Current in Hindi?
जिस प्रकार अल्टरनेटिंग करंट है, उसी प्रकार डीसी करंट भी है परंतु इन दोनों के बीच काफी अंतर है। डीसी का पूरा नाम डायरेक्ट करंट होता है और हिंदी भाषा में इसे दिष्ट धारा कहा जाता है। डायरेक्ट करंट में ना तो दिशा बदलती है ना ही वैल्यू चेंज होता है और इसीलिए इसे डायरेक्ट करंट कहते हैं। इसके बारे में एक इंटरेस्टिंग बात यह है कि इसे सिर्फ 650 वोल्ट तक ही पैदा किया जा सकता है।
वर्तमान के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल अल्टरनेटिंग करंट का ही हो रहा है, परंतु कुछ जगह ऐसी भी है, जहां पर अल्टरनेटिंग करंट की जगह पर डीसी करंट की जरूरत पड़ जाती है। उदाहरण के तौर पर अगर हमें अपने स्मार्टफोन को चार्ज करना है, तो उसकी बैटरी डीसी करंट के जरिए ही चार्ज होती है। इसलिए हमारा चार्जर डीसी करंट को प्रवाहित करने वाला होता है।
इसके अलावा वेल्डिंग मशीन, रेडियो, कंप्यूटर, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मल्टीमीटर टेस्टर, बैटरी और सेल होते हैं, इनमें डीसी करंट का ही इस्तेमाल होता है। साथ ही अगर किसी बैटरी को चार्ज करना है, तो उसे चार्ज होने के लिए डीसी सप्लाई की ही आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि एसी करंट स्टोर नहीं हो पाता है। परंतु डीसी करंट आसानी के साथ में स्टोर हो जाता है।
भारत के ग्रामीण इलाके में आज भी बिजली की समस्या है। इसलिए कई लोग ग्रामीण इलाके में इनवर्टर लगाते हैं और जब लाइट आती है, तब इनवर्टर चार्ज हो जाता है और जब लाइट चली जाती है, तब इनवर्टर की सहायता से घर में लाइट चालू कर दी जाती है। इनवर्टर की कैपेसिटी कम या ज्यादा होती है और उसी के हिसाब से घर में लाइट जाने के पश्चात इलेक्ट्रॉनिक चीजें चलाई जाती है।
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एसी और डीसी में अंतर – Difference between Alternating Current and Direct Current in Hindi
- एसी और डीसी में, टाइम टू टाइम अल्टरनेटिंग करंट का वैल्यू और डायरेक्शन बदल जाता है, परंतु डायरेक्ट करंट का नहीं बदलता।
- कूलर, पंखा, टीवी इत्यादि घर में इस्तेमाल होने वाली चीजों को चलाने के लिए एसी करंट की आवश्यकता पड़ती है, परंतु स्मार्टफोन की बैटरी को चार्ज करने के लिए डीसी करंट की आवश्यकता पड़ती है, साथ ही वेल्डिंग में, बैटरी में और सेल में डीसी करंट उपलब्ध होता है।
- एसी अल्टरनेटर के जरिए पैदा होता है और डीसी जनरेटर के जरिए पैदा होता है।
- 33000 वोल्ट तक एसी का प्रोडक्शन हो सकता है और डीसी का प्रोडक्शन सिर्फ 650 वोल्ट तक
हो सकता है। - एसी को डीसी में चेंज करने के तरीके को Rectifier और डीसी को एसी में चेंज करने वाले तरीके को इनवर्टर कहते हैं।
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निष्कर्ष
आशा है आपको एसी और डीसी में अंतर क्या है के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में एसी और डीसी में अंतर क्या है (Difference between Alternating Current and Direct Current in Hindi) को लेकर आपका कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को एसी और डीसी में अंतर क्या है के बारे में जानकारी मिल सके।