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Home » Blog » के बीच अंतर » एमआरआई और सीटी स्कैन में अंतर क्या है? – Difference between MRI and CT Scan in Hindi

के बीच अंतर

एमआरआई और सीटी स्कैन में अंतर क्या है? – Difference between MRI and CT Scan in Hindi

Editorial Team
Last updated: 01/16/2024 9:53 pm
Editorial Team
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14 Min Read
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आज हम जानेंगे एमआरआई और सीटी स्कैन में अंतर क्या है (What is difference between MRI and CT Scan in Hindi), के बारे में पूरी जानकारी। इंसान को अपने जीवन काल के दरमियान कभी ना कभी डॉक्टर की चौखट पर अवश्य जाना पड़ता है, क्योंकि वर्तमान के समय में इंसान का खानपान ऐसा हो गया है कि उसे कुछ ना कुछ समस्या हो ही जाती है। इसके अलावा कभी कबार उसकी किस्मत में गिरना पड़ना भी लिखा हुआ रहता है। इसलिए कभी-कभी अंदरूनी चोट भी लग जाती है।

ऐसी सिचुएशन में बॉडी के अंदर कौन सा घाव बना हुआ है अथवा कौन-सी बीमारी है, इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर के द्वारा एमआरआई या फिर सिटी स्कैन करने के लिए कहा जाता है। इसलिए इन दोनों के बारे में पता रहना आवश्यक है। इस आर्टिकल में हम आपको “एमआरआई और सीटी स्कैन में क्या अंतर है” अथवा “एमआरआई और सीटी स्कैन में डिफरेंस क्या होता है” इसकी जानकारी प्रोवाइड करवा रहे हैं। तो आज के लेख में हमसे जुड़े रहे और जाने एमआरआई और सीटी स्कैन से जुड़ी हुई सभी जानकारियां विस्तार से वो भी हिंदी में, इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

Contents
एमआरआई क्या है? – What is MRI in Hindi?सिटी स्कैन क्या है? – What is CT Scan in Hindi?एमआरआई और सीटी स्कैन में अंतर – Difference between MRI and CT Scan in Hindiनिष्कर्ष

एमआरआई क्या है? – What is MRI in Hindi?

mri aur ct scan me kya antar hai
एमआरआई और सीटी स्कैन में अंतर क्या है

MRI का पूरा नाम मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग होता है और इसे करने के लिए एक बहुत ही पावरफुल रेडियो तरंग का इस्तेमाल किया जाता है। इस रेडियो तरंग के द्वारा बॉडी के अंदरूनी अंगों की फोटो ली जाती है। एमआरआई टेस्ट को करके डॉक्टर इस बात को चेक करते हैं कि किसी पेशेंट पर वह जो ट्रीटमेंट करवा रहा है उसका कैसा इफेक्ट पड़ रहा है। बता दें कि एमआरआई, सीटी स्कैन और X-RAY से डिफरेंट टाइप का होता है, क्योंकि एमआरआई करने के लिए रेडिएशन का यूज़ नहीं होता है।

एमआरआई टेस्ट क्यों किया जाता है, अगर इसके बारे में बात करें तो डॉक्टर के द्वारा इस टेस्ट को किसी बीमारी की ट्रीटमेंट पता लगाने के लिए, किसी चोट की जानकारी हासिल करने के लिए या फिर दवा के असर को देखने के लिए किया जाता है। जब डॉक्टर किसी पेशेंट का एमआरआई टेस्ट करता है, तो उसके पहले डॉक्टर के द्वारा पेशेंट से कुछ क्वेश्चन पूछे जाते हैं, जिनका जवाब बिल्कुल सही सही पेशेंट को देना पड़ता है। प्राप्त हुए जवाब के आधार पर ही डॉक्टर आवश्यक कदम उठाते हैं।

आप जो जवाब देते हैं, उन के माध्यम से ही रेडियोलॉजिस्ट को यह पता चलता है कि आपकी पहले कभी सर्जरी हुई है अथवा नहीं अथवा आपकी बॉडी में किसी डिवाइस को फिट किया गया है या नहीं। बता दें कि जब एमआरआई स्कैन किया जाता है, तब स्केनर जब तस्वीरें क्लिक करता है तो काफी आवाज पैदा होती है जो कि नॉर्मल होता है। इसलिए कई बार डॉक्टर पेशेंट को हेडफोन लगाने के लिए कहते हैं या फिर गाना सुनने के लिए भी कहते हैं।

जब किसी पेशेंट को एमआरआई टेस्ट करवाना होता है, तो उसे कोई स्पेशल तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि टेस्ट करवाने के लिए जब आप क्लीनिक में जाते हैं या फिर हॉस्पिटल में जाते हैं, तो आपको गाउन पहनने के लिए दिया जाता है, साथ ही टेस्ट के पहले आपको अपनी बॉडी में से सभी धातु को निकाल देना पड़ता है फिर चाहे वह धातु सोने की हो या फिर लोहे की हो।

इसके अलावा अगर डॉक्टर को लगता है कि आपको डाई या कंट्रास्ट का इंजेक्शन लगाना है, तो वह आप को इंजेक्शन लगाते हैं, ताकि बॉडी के अंग साफ तौर पर दिखाई दे सके। इसके बाद पेशेंट को एमआरआई स्कैनर की मशीन में लेटा दिया जाता है और एक बेल्ट की सहायता से आपको टाइट बांध दिया जाता है ताकि जब स्कैनिंग की जाए तब आप हिले डूले नहीं। इसके बाद आपकी बॉडी के कुछ हिस्से को या फिर आपकी पूरी बॉडी को स्केनर मशीन के अंदर डाल दिया जाता है, जो तरंगों के जरिए आपकी पूरी बॉडी के नक्शे को कंप्यूटर के ऊपर तैयार करती है।

एमआरआई टेस्ट हो जाने के पश्चात रेडियोलॉजिस्ट के द्वारा जो तस्वीरें प्राप्त हुई है, उसका परीक्षण किया जाता है और रेडियोलॉजिस्ट परीक्षण करके इस बात को देखते हैं कि उन्हें और एमआरआई करने की जरूरत है या नहीं। अगर एमआरआई स्कैन की फोटो सही से आई हुई होती है, तो डॉक्टर या फिर रेडियोलॉजिस्ट के द्वारा पेशेंट को घर जाने के लिए कह दिया जाता है। उसके बाद रेडियोलॉजिस्ट एमआरआई स्कैन के हिसाब से एक रिपोर्ट तैयार करता है और वह संबंधित डॉक्टर को रिपोर्ट भेज देता है और डॉक्टर प्राप्त रिपोर्ट को चेक करके फिर पेशेंट से कंसल्टेशन करता है।

ये भी पढ़े: लव और फ्रेंडशिप में अंतर क्या है? – Difference between Love and Friendship in Hindi

सिटी स्कैन क्या है? – What is CT Scan in Hindi?

इसका पूरा नाम कंप्यूटराइज टोमोग्राफी स्कैन होता है। इसमें ऐसी फोटो का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कंप्यूटर और एक्स-रे मशीन के द्वारा लिया जाता है और इसके द्वारा जो फोटो प्राप्त होती है, उसके जरिए बॉडी में जो गड़बड़ी है उसका पता लगाने में काफी सहायता प्राप्त होती है। सीटी स्कैन का इस्तेमाल ब्लड वेसल्स, हड्डी के अलावा बॉडी के विभिन्न प्रकार के अंगों पर किया जाता है।

अगर आपकी बॉडी में कोई हड्डी टूट गई है या फिर आपकी बॉडी में ट्यूमर हो गया है, इसके अलावा बॉडी में कोई इंफेक्शन है अथवा बॉडी में ब्लड क्लोट की प्रॉब्लम है व आप कोई सर्जरी करवाने जा रहे हो और उसके पहले आपको गाइड लाईन की जरूरत है या फिर आप को हृदय रोग, कैंसर, लीवर जैसी प्रॉब्लम है तो इन बीमारियों का पता लगाने के लिए सिटी स्कैन किया जाता है। इसके अलावा बॉडी के अंदर अगर ब्लीडिंग हो रही है, तो इसका पता भी सीटी स्कैन करके लगाया जा सकता है।

ऐसा कहा जाता है कि जिस महिला के पेट में बच्चा होता है, उसे प्रेगनेंसी के दरमियान सीटी स्कैन नहीं कराना चाहिए और अगर कभी इसे करवाने की आवश्यकता भी पड़ती है, तो डॉक्टर से उसे अवश्य पूछना चाहिए। हालांकि हम आपको बता दें कि सीटी स्कैन का जो रेडिएशन होता है, उसका बुरा प्रभाव बच्चे पर नहीं पड़ता है, परंतु फिर भी आपको डॉक्टर से अवश्य पूछना चाहिए। सीटी स्कैन क्या है? इसके बारे में तो आपने जान लिया परंतु इसके साथ ही साथ आपको इसके कुछ साइड इफेक्ट के बारे में भी अवश्य जान लेना चाहिए।

इसका मुख्य खतरा यह है कि इसका जो रेडिएशन होता है, उससे कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा काफी ज्यादा होता है। हालांकि एक से दो स्कैन में कैंसर होने का खतरा ज्यादा नहीं होता है परंतु अगर बार-बार किसी व्यक्ति को सिटी स्कैन करवाने के लिए कहा जाता है और वह सिटी स्कैन करवाता है, तो उसे कैंसर की बीमारी हो सकती है। खास तौर पर जो पेशेंट सीने या फिर पेट के आसपास का एक्सरे करवाते हैं, उन्हें कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।

सिटी स्कैन करने से पहले बॉडी के अंगों को साफ तौर पर देखने के लिए आपको इंजेक्शन के द्वारा डाई या फिर कंट्रास्ट का इंजेक्शन दिया जाता है, जो कि बाद में जब आप टॉयलेट करते हैं, तो टॉयलेट के रास्ते बाहर निकल जाता है। कुछ डॉक्टर इंजेक्शन की जगह पर डाई और कंट्रास्ट के लिए आपको घोल पीने के लिए भी कहते हैं। जब सिटी स्कैन करना चालू कर दिया जाता है तब आपको किसी भी प्रकार के दर्द का एहसास नहीं होता है क्योंकि वर्तमान के समय में सीटी स्कैन करने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाली मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, तकरीबन आधे घंटे में ही सीटी स्कैन की प्रोसेस कंप्लीट हो जाती है।

सीटी स्कैन की प्रोसेस के दरमियान आपको हॉस्पिटल में गाउन पहना दिया जाता है, साथ ही अगर आपने कोई गहना पहना हुआ होता है, तो उसे भी उतार दिया जाता है, क्योंकि गहना पहने होने के कारण सीटी स्कैन के रिजल्ट प्रभावित हो सकते हैं। बाद में पेट के बल डॉक्टर आपको लेटने के लिए कहता है और फिर आपकी बॉडी के अंदर एक स्लाइड जाता है, जिसे डॉक्टर कंट्रोल रूम से बैठ कर के देखते हैं और इस प्रकार एक्स-रे आपकी बॉडी के अंदर मौजूद अंगों की फोटो का ढांचा तैयार करता है।

याद रखें कि जब सिटी स्कैन हो रहा हो, तब आपको बिल्कुल भी हिलना-डुलना नहीं चाहिए क्योंकि अगर आप हिलते-डुलते हैं तो तस्वीर साफ नहीं आती है। इसके अलावा डॉक्टर सीटी स्कैन के दरमियान आपको सांस को कुछ देर तक रोककर रखने के लिए भी कहता है। सिटी स्कैन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद रेडियोलॉजिस्ट के पास आपकी फोटो परीक्षण के लिए चली जाती है। उसके बाद रेडियोलॉजिस्ट आपकी फोटो का सही ढंग से परीक्षण करता है और परीक्षण करने के बाद रिजल्ट को फोटो के साथ डॉक्टर के पास भेज देता है। इसके पश्चात डॉक्टर आपको अपने पास बुलाता है और सिटी स्कैन के रिजल्ट के ऊपर चर्चा करता है, फिर आगे की कार्रवाई करता है।

ये भी पढ़े: रैट और माउस में अंतर क्या है? – Difference between Rat and Mouse in Hindi.

एमआरआई और सीटी स्कैन में अंतर – Difference between MRI and CT Scan in Hindi

  • एमआरआई और सीटी स्कैन में, सिटी स्कैन में फोटो थोड़ी कम साफ दिखाई देती है, वही एमआरआई में फोटो काफी हद तक साफ दिखाई देती है।
  • एमआरआई स्कैनिंग की प्रक्रिया में रेडिएशन नहीं होता है, जबकि सिटी स्कैन की प्रक्रिया में रेडिएशन ज्यादा होता है।
  • एमआरआई और सीटी स्कैन में, सिटी स्कैन करवाने के लिए कम पैसे देने पड़ते हैं, वही एमआरआई स्कैन करवाने के लिए अधिक पैसे देने पड़ते हैं।
  • सिटी स्कैन भारत के अधिकतर इलाकों में किया जाता है, वही M.R.I. किसी बड़े हॉस्पिटल या फिर बड़े क्लीनिक में ही होता है।
  • एमआरआई और सीटी स्कैन में, एक्स-रे बीम का इस्तेमाल रेडिएशन के लिए सिटी स्कैन में होता है और रेडियो फ्रिकवेंसी पल्स का इस्तेमाल एमआरआई के मैग्नेटिक एरिया में होता है।
  • एमआरआई और सीटी स्कैन में, एमआरआई करने के दौरान काफी शोरगुल होता है, वही सिटी स्कैन में ऐसा नहीं होता है।
  • एमआरआई और सीटी स्कैन में, एमआरआई में दर्द ज्यादा होता है, परंतु रेडियो एक्सपोजर की संभावना काफी कम होती है। वही सिटी स्कैन में दर्द तो कम होता है, परंतु रेडियो एक्स्पोज़र की संभावना ज्यादा होती है।

ये भी पढ़े: बैल और सांड में अंतर क्या है? – Difference between an Oxen and a Bull in Hindi

निष्कर्ष

आशा है आपको एमआरआई और सीटी स्कैन के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में एमआरआई और सीटी स्कैन (Difference between MRI and CT Scan in Hindi) को लेकर आपका कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को एमआरआई और सीटी स्कैन के बारे में जानकारी मिल सके।

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