आज हम जानेंगे कपड़ा कैसे बनता है (How cloth is made in Hindi), के बारे में पूरी जानकारी। इंसानों का जन्म जब इस धरती पर हुआ था, तब पैदा होने के कई सालों बाद तक भी उन्हें कपड़े पहनने का जरा भी ख्याल नहीं था। यही वजह है कि वह या तो नंगे ही रहते थे या फिर अपनी बॉडी को ढकने के लिए पेड़ के पत्तों का इस्तेमाल करते थे।
आज भी कुछ जनजातियां दुनिया में ऐसी है, जो सिर्फ अपने प्राइवेट अंगों को ही ढाकती है, उसके अलावा उनकी पूरी बॉडी खुली हुई रहती है। तो आज के लेख में हमसे जुड़े रहे और जाने कपड़ा कैसे बनता है से जुड़ी हुई सभी जानकारियां विस्तार से वो भी हिंदी में, इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
कपड़ा कैसे बनता है? – How cloth is made in Hindi?
वर्तमान के समय में तो मार्केट में अलग-अलग प्रकार के कपड़े आ चुके हैं परंतु एक समय ऐसा भी था, जब कपड़े के नाम पर इंसानों के पास सिर्फ पेड़ों के बड़े-बड़े पत्ते ही थे। दुनिया के तमाम बड़े-बड़े देशों में कपड़े का निर्माण होता है। कपड़े को तैयार करने के लिए प्राकृतिक और सिंथेटिक फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है, जिनके बारे में नीचे हम आपको बता रहे हैं
1. प्राकृतिक फाइबर:
प्राकृतिक फाइबर को अंग्रेजी भाषा में नेचुरल फाइबर कहा जाता है, जो कि जंगलों में मौजूद पेड़ और पौधों से मिलता है। इस प्रकार का फाइबर कीड़े के द्वारा भी बनाया जाता है। उदाहरण के स्वरूप कपास के पौधे से सूती कपड़ा, अलसी के पौधे से लिनन, रेशम के रेशे हमें जिस कीड़े से प्राप्त होते हैं, उसे सिल्क वॉर्म कहा जाता है।
यह कीड़ा अपने आपको ही रेशम से लपेट लेता है, जिसे पानी में डालकर गर्म किया जाता है। तब कीड़ा तो मर जाता है परंतु रेशम हमें प्राप्त हो जाता है, जिसका इस्तेमाल करके रेशम का कपड़ा बनता है। प्राकृतिक रेशे से जो कपड़ा तैयार होता है, वह हमारी त्वचा को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि वह हमारी त्वचा के लिए आरामदायक साबित होता है।
2. सिंथेटिक फाइबर:
केमिकल का इस्तेमाल करके इस प्रकार का फाइबर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है, जिसे सिंथेटिक यार्न कहा जाता है। इसकी क्वालिटी अलग-अलग होती है और यही वजह है कि इसे वर्तमान के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसका दाम भी काफी सस्ता होता है और यह काफी मजबूत भी होता है। साथ ही इसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार कई बदलाव भी किए जा सकते हैं। नायलॉन, पॉलिस्टर और रेयान यह सिंथेटिक फाइबर के बढ़िया उदाहरण है। वर्तमान के समय में तो प्राकृतिक और सिंथेटिक फाइबर दोनों को आपस में मिलाकर के कपड़ा बनाया जाता है।
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फैक्ट्री में कपड़ा कैसे बनता है? – How cloth is made in factory in Hindi?
फैक्ट्री में कपड़ा कैसे बनता है, इसकी जानकारी नीचे दी रही है:
- फैक्ट्री में कपड़ा तैयार करने के लिए सबसे पहले कच्चे मटेरियल को आपस में मिक्स किया जाता है और उसे कपड़े का आकार दिया जाता है, जो कि अधिक तर सफेद कलर में ही होता है।
- इसके बाद उसे एक मोटे से रोल में लपेटा जाता है।
- अब उस रोल में से आवश्यकतानुसार कपड़े को काटा जाता है और फिर उसे डिजाइन दी जाती है।
- डिजाइन देने के बाद कपड़े को केमिकल वाले कलर में कलर किया जाता है। इससे कपड़े पर पक्का कलर छप जाता है, जो धोने पर भी नहीं जाता है।
- कपड़े का कलर हो जाने के बाद उसकी सिलाई मशीनों के द्वारा अथवा वर्कर के द्वारा सिलाई कर दी जाती है।
- सिलाई पूरी हो जाने के बाद कपड़े में जो आवश्यक बदलाव करने होते हैं, वह किए जाते हैं।
- जब कपड़ा पूरी तरह से बन करके तैयार हो जाता है, तब उसे पैक कर दिया जाता है।
- अपने प्रॉफिट और दुकानदार के प्रॉफिट को देखते हुए कंपनी उस कपड़े के ऊपर उसका दाम प्रिंट कर देती है। इसके बाद उसे मार्केट में बेचने के लिए भेज दिया जाता है।
कपड़ा कितने प्रकार का होता है? – How many types of cloth is there in Hindi?
कपड़ा कैसे बनता है, इसकी जानकारी ऊपर देने के बाद अब हम कपड़े के प्रकार के बारे में बताएंगे। नीचे हमने आपके साथ कपड़े में इस्तेमाल किए जाने वाले फाइबर और उसे बनाने की टेक्नोलॉजी के आधार पर जो कपड़े मार्केट में मिलते हैं, उनके प्रकार और विशेषताएं शेयर की है।
1. सूती कपड़ा:
सूती कपड़ा को अंग्रेजी में कॉटन क्लॉथ कहा जाता है। यह बहुत ही आरामदायक कपड़ा माना जाता है। दुनिया में अधिकतर लोग सूती कपड़ा पहनना ही पसंद करते हैं, क्योंकि इसे तैयार करने में किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यही वजह है कि यह त्वचा के लिए भी बढ़िया माना जाता है। कैंब्रिक, टेरी टॉवेलिंग, कैलिको, डेनिम, ड्रिल, पापलीन, वेलवेट यह सभी कपड़े कॉटन के द्वारा ही तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा इसके जरिए कॉटन लिनन, कॉटन ट्वील, कॉटन जर्सी, कॉटन साटिन भी बनता है।
2. लिनन कपड़ा:
यह अलसी के पौधे से प्राप्त होने वाला फाइबर है। यह कपड़ा मजबूत होने के साथ ही साथ काफी लचीला भी होता है। इससे कपड़े तो बनते ही हैं, इसके अलावा जैकेट, टेबल क्लॉथ, बिस्तर, तोलिया, सोफा कवर और पर्दा भी बनता है।
3. रेशम कपड़ा:
रेशम को अंग्रेजी भाषा में सिल्क कहा जाता है। इस प्रकार के कपड़े मार्केट में काफी महंगे मिलते हैं। रेशम का कपड़ा काफी चमकदार होता है और इसे पहनने से कोई भी एलर्जी नहीं होती है। इसके जरिए तैयार होने वाले फैब्रिक जैसे की शिफॉन, जॉर्जेट, टशर, क्रेप, साटिन दुनिया में काफी पॉपुलर हैं।
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4. क्रेप कपड़ा:
इसका मतलब सिलवट वाला होता है। इस कपड़े की खूबी यह है कि इसकी जो सत्तह होती है, वह खुरदरी होती है और जब आप इसे टच करते हैं, तब आपको दानेदार जैसा यह कपड़ा महसूस होता है। इस प्रकार का कपड़ा किसी भी प्रकार के फाइबर से तैयार हो सकता है। अगर इसे सिल्क के जरिए बनाया जाता है, तो इसे क्रेप सिल्क कहते हैं और अगर यह कॉटन से बना होता है तो इसे कॉटन क्रेप कहते हैं। यह कपड़ा वजन में काफी हल्का होता है, साथ ही इसमें जल्दी सिलवटें भी नहीं पड़ती हैं।
5. लाईक्रा कपड़ा:
यह एक ब्रांड नेम है और यह कपड़ा इलास्टेन नाम के मटेरियल से तैयार होता है, जिसे इंसानों के द्वारा ही तैयार किया गया है। अंग्रेजी भाषा में इलास्टिन को स्पेंदेक्स भी कहा जाता है। इसके जरिए स्पोर्ट्स वेयर, अंडरगारमेंट और स्विम वेयर तैयार किए जाते हैं। इस प्रकार के कपड़े की खास बात यह होती है कि इसे आप चाहे कितना भी क्यों ना खींचे, यह वापस से जैसा पहले था, वैसे ही हो जाता है। यह वजन में हल्का और मुलायम होता है और धोने पर जल्दी खराब भी नहीं होता है।
6. पोलिस्टर कपड़ा:
पॉलिस्टर फाइबर का निर्माण इंसानों ने ही किया है। यह एक प्रकार का प्लास्टिक होता है और इस रेशे से जो कपड़ा तैयार होता है, उसे पॉलिस्टर कहा जाता है। इसकी क्वालिटी के बारे में बात करें तो यह सॉफ्ट और स्ट्रांग होता है। इसमें जल्दी सिलवटें नहीं पड़ती है। यह कपड़ा पहनने में चिपचिपा महसूस होता है और जिन लोगों को अत्यधिक पसीना होता है, वह अगर यह कपड़ा पहनते हैं, तो उन्हें एलर्जी होती है। इसके अलावा यह कपड़ा आग भी जल्दी पकड़ लेता है।
7. रेयोन कपड़ा:
अंग्रेजी भाषा में रेयोन को विस्कोस भी कहा जाता है। यह लकड़ी में पाए जाने वाले सैलूलोज फाइबर से तैयार होता है। इस प्रकार का जो कपड़ा होता है, वह मार्केट में काफी सस्ता होता है, साथ ही यह काफी मुलायम भी होता है। इसे भी दूसरे फाइबर के साथ मिक्स किया जा सकता है और मनपसंद रंग दिया जा सकता है। हालांकि इसकी एक बात यह भी है कि धोने पर यह काफी जल्दी से खराब होने लगता है। इस प्रकार का कपड़ा काफी मजबूत नहीं होता है और इसमें जल्दी दाग धब्बे भी लग जाते हैं।
8. वेलवेट कपड़ा:
इस प्रकार का कपड़ा काफी मोटा होता है, यही वजह है कि सर्दियों के मौसम में यह पहनने के लिए अच्छा माना जाता है। वेलवेट से बना हुआ कपड़ा लोगों को शाही लुक देता है। हालांकि इसे बनाने के लिए विशेष प्रकार की बुनाई होती है। इसके जरिए पहनने वाले कपड़े तो बनाए ही जाते हैं। इसके अलावा सोफा के कवर, परदे और तकिया के कवर भी बनाए जाते हैं। दुनिया भर में इसकी काफी डिमांड होती है।
9. पोलीकॉटन कपड़ा:
इसे तैयार करने के लिए प्राकृतिक कॉटन और सिंथेटिक पॉलिस्टर का इस्तेमाल किया जाता है। यह कपड़ा पतला और हल्का होता है परंतु मजबूती के लिए यह काफी अच्छा माना जाता है। इस कपड़े की खासियत यह है कि यह लंबे टाइम तक खराब नहीं होता है। इस प्रकार के कपड़े को प्रेस करना आसान होता है और यह कॉटन से सस्ता होता है।
10. जॉर्जेट कपड़ा:
पॉलिस्टर और नायलॉन को मिला करके इसे तैयार किया जाता है। हमारे इंडिया की महिलाओं को इस प्रकार का कपड़ा काफी पसंद होता है, क्योंकि यह मुलायम और हल्का होता है। पहले के टाइम में इसे तैयार करने के लिए सिल्क का इस्तेमाल किया जाता था परंतु अब इसे तैयार करने के लिए नायलॉन और पॉलिस्टर का इस्तेमाल किया जाता है।
11. शिफोन कपड़ा:
शिफॉन का कपड़ा भी काफी मजबूत होता है और यही इसकी लोकप्रियता के लिए जिम्मेदार भी है। हालांकि इस प्रकार के कपड़े को धोने के समय काफी ध्यान दिया जाता है। यह कपड़ा काफी नाजुक होता है, साथ ही साथ चमकदार भी होता है। इसमें फिसलन काफी ज्यादा होती है। इसलिए इसकी सिलाई करने के लिए कागज का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि सिलाई सही प्रकार से हो सके। सिलाई हो जाने के बाद कागज को निकाल दिया जाता है।
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निष्कर्ष
आशा है आपको कपड़ा कैसे बनता है के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में कपड़ा कैसे बनता है (How cloth is made in Hind) को लेकर आपका कोई सवाल है, तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को कपड़ा कैसे बनता है के बारे में जानकारी मिल सके।