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Home » Blog » के बीच अंतर » करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर हैं? – Difference between Curriculum and Syllabus in Hindi

के बीच अंतर

करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर हैं? – Difference between Curriculum and Syllabus in Hindi

Editorial Team
Last updated: 01/16/2024 9:34 pm
Editorial Team
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10 Min Read
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आज हम जानेंगे करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर हैं (Difference between Curriculum and Syllabus in Hindi), के बारे में पूरी जानकारी। जब विद्यार्थी स्कूल में पढ़ाई करने के लिए एडमिशन लेते हैं तब उन्हें जो भी पढ़ाई करवाई जाती है, वह करिकुलम और सिलेबस के अंतर्गत ही करवाई जाती है। अधिकतर विद्यार्थियों को सिलेबस का तो मतलब पता होता है परंतु उन्हें यह नहीं पता होता कि करिकुलम क्या होता है और कई विद्यार्थी तो ऐसे हैं जो करिकुलम और सिलेबस को एक ही मान लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है।

सिर्फ विद्यार्थी ही नहीं बल्कि बहुत सारे ऐसे टीचर भी है जिन्हें यह लगता है कि करिकुलम और सिलेबस एक ही होता है जो कि बिल्कुल गलत बात है। इसलिए जिन भी लोगों को यह लगता है करिकुलम और सिलेबस में कोई अंतर नहीं है, उनकी कमी को दूर करने के लिए हमने इस आर्टिकल को लिखा हुआ है, ताकि आप यह जान जाए कि करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर है। इसलिए करिकुलम और सिलेबस से जुड़ी हुई सारी जानकारी के बारे में विस्तार से जानने के लिए, इस लेख को अंत तक पढ़े।

Contents
करिकुलम क्या है? – What is Curriculum in Hindi?सिलेबस क्या है? – What is Syllabus in Hindi?करिकुलम और सिलेबस में अंतर – Difference between Curriculum and Syllabus in Hindiनिष्कर्ष

करिकुलम क्या है? – What is Curriculum in Hindi?

Difference between Curriculum and Syllabus in Hindi
करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर हैं

करिकुलम को हिंदी भाषा में पाठ्यक्रम कहा जाता है। एजुकेशन के दरमियान स्टूडेंट को जो एक्सपीरियंस होते हैं और एजुकेशन के जो नियम होते हैं उन्ही सब बातों को करिकुलम कहते हैं। बता दें कि करिकुलम शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। अगर सरल शब्दों में इसकी व्याख्या की जाए तो पूरी एजुकेशन प्रदान करने के जिस नियम को तैयार किया गया है उसे ही करिकुलम कहा जाता है। पहले के समय की बात करें तो पहले के समय में करिकुलम का मतलब सिर्फ सब्जेक्ट के तौर पर ही देखा जाता था और समझा जाता था।

परंतु वर्तमान के समय में इसका इलाका काफी ज्यादा बड़ा हो चुका है। वर्तमान के समय में करिकुलम को स्कूल की पूरी कार्यप्रणाली के तौर पर देखा भी जाता है और इसे समझा भी जाता है। यहां पर यह भी कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि स्कूल का पूरा काम एक टाइप का पाठ्यक्रम यानी की करिकुलम ही होता है। करिकुलम को परिवर्तनशील कहा जाता है, क्योंकि इसमें जरूरत के हिसाब से लगातार बदलाव किए जाते रहते हैं, क्योंकि लगातार कुछ ना कुछ घटनाएं घटित होती रहती है।

ऐसे में विद्यार्थियों को जिन घटनाओं के बारे में बताना आवश्यक होता है, उन घटनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है और एजुकेशन के उद्देश्य के आधार पर ही करिकुलम को तैयार किया जाता है। करिकुलम को तैयार करने से स्टूडेंट के व्यक्तित्व का डेवलपमेंट किया जा सकता है, साथ ही इसके द्वारा स्टूडेंट्स के व्यवहार में भी जरूरत के हिसाब से बदलाव किए जा सकते हैं। करिकुलम के द्वारा ही स्टूडेंट में समस्या और उपाय की प्रवृत्ति में तेजी के साथ इजाफा होता है।

बात करें अगर पाठ्यक्रम को तैयार कैसे किया जाता है, तो स्टूडेंट के ज्ञान और प्रयोग के पक्ष के विकास के आधार पर इसकी तैयारी होती है। इसके सा-ही-साथ समाज की परिस्थिति को भी ध्यान में रखकर के करिकुलम को तैयार किया जाता है। इसे तैयार करने से पहले ही इसकी सभी रूपरेखा को समझा जाता है और रूपरेखा बनाने के बाद ही करिकुलम को तैयार किया जाता है। जब करिकुलम तैयार हो जाता है, तब इसका मूल्यांकन भी किया जाता है जिसे करने का काम बड़े-बड़े इंटेलेक्चुअल यानी की बुद्धजीवि करते हैं।

ये भी पढ़े: क्रेडिट और डेबिट कार्ड में क्या अंतर है?

हर करिकुलम का कुछ ना कुछ उद्देश्य अवश्य होता है। करिकुलम के उद्देश्यों के बारे में बात करें तो इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के ज्ञान में बढ़ोतरी करना है, साथ ही उनका नैतिक और चारित्रिक विकास करना है। इसके अलावा उनकी पर्सनैलिटी को डेवलप करना है, साथ ही विद्यार्थियों के अंदर सामाजिक भावना का डेवलपमेंट करना भी है। इसके अलावा करिकुलम को इस उद्देश्य के साथ भी बनाया जाता है, ताकि स्टूडेंट के समझने के लेवल को आसान बनाया जा सके और उनके व्यवहार में श्रेष्ठता लाई जा सके।

सिलेबस क्या है? – What is Syllabus in Hindi?

हिंदी भाषा में सिलेबस को पाठ्यचर्या कहा जाता है और इसकी व्याख्या यह है कि किसी भी यूनिवर्सिटी या फिर स्कूल के द्वारा एक नियम के साथ जो एजुकेशन और सामग्री दी जाती है, उसे ही पाठ्य चर्चा कहा जाता है जो कि इंस्ट्रक्शन के अंतर्गत ही काम करती है और यह सिलेबस पर डिपेंड होती है। सिलेबस में अलग-अलग प्रकार के सब्जेक्ट में इंफॉर्मेशन होती है। साथ ही उस पार्ट के बारे में इंफॉर्मेशन होती है, जिसे किसी स्पेशल सब्जेक्ट या फिर किसी स्पेशल कोर्स के लिए कवर करने की जरूरत होती है।

सिलेबस को निर्धारित करने का काम बोर्ड डिपार्टमेंट करता है और सिलेबस को तैयार करने की जिम्मेदारी विभिन्न बुद्धिजीवी या फिर प्रोफेसर के हाथों में होती है। जब सिलेबस को बुद्धिजीवी या फिर प्रोफेसर के द्वारा बनाया जाता है, तब उनके द्वारा इस बात को भी देखा जाता है कि किसी स्पेशल सब्जेक्ट या फिर पाठ्यक्रम के जो मूल सिद्धांत हैं, उन्हें व्यवहारिक शिक्षण विधियों के साथ जोड़ा जाए। जब शैक्षणिक सत्र चालू होता है तो स्टूडेंट और टीचर को पाठ्यक्रम दे दिया जाता है।

ये भी पढ़े: वारंटी और गारंटी में क्या अंतर है?

आपको हम बता दें कि सिलेबस को तैयार करने का काम विभिन्न प्रकार के बुद्धिजीवी करते हैं जिसमें अधिकतर ऐसे लोग होते हैं, जिन्होंने हाई एजुकेशन हासिल की हुई होती है। खासतौर पर सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी ऐसे लोगों की होती है, जिनके पास पीएचडी की डिग्री होती है, क्योंकि उन्हें किसी स्पेशल सब्जेक्ट पर गहन जानकारी होती है। इसलिए ऐसे लोगों के द्वारा ही सिलेबस को तैयार करवा जाता है और सिलेबस क्लास को देखते हुए भी तैयार किए जाते हैं।

अगर कोई सिलेबस पहली क्लास के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया जा रहा है तो उसमें ऐसी बातें ही शामिल की जाती है, जो आसानी से छोटे बच्चों को समझ में आ जाए और कोई सिलेबस दसवीं क्लास के विद्यार्थियों के लिए बनाया जा रहा है, तो उसमें थोड़ीःसी कठिन बातों को शामिल किया जाता है।

करिकुलम और सिलेबस में अंतर – Difference between Curriculum and Syllabus in Hindi

करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर हैं 1
  1. करिकुलम के अंतर्गत स्टूडेंट को पूरे एजुकेशन के दरमियान एक्सपीरियंस हासिल होता है और सिलेबल्स के अंतर्गत विद्यार्थियों को बताया जाता है, कि उन्हें कौन-से सब्जेक्ट की इंफॉर्मेशन कौन सी क्लास में मिलेगी।
  2. स्टूडेंट की उम्र, उसके इंटरेस्ट के लेवल और उसके वर्तमान और फ्यूचर को ध्यान में रखकर के करिकुलम का सिलेक्शन किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ सिलेबस को, स्टूडेंट की उम्र और उसकी क्लास के हिसाब से तय किया जाता है।
  3. करिकुलम मे रिसर्च और एक्सपेरिमेंट पर ध्यान दिया जाता है, वही सिलेबस में किताबों के द्वारा ज्ञान प्राप्ति पर ध्यान दिया जाता है।
  4. करिकुलम में विद्यार्थियों को अनुशासन, उठने-बैठने का ढंग और नैतिक बातें भी सिखाई जाती हैं। वही सिलेबस में विद्यार्थियों को किताबों का ज्ञान और सब्जेक्ट की इंफॉर्मेशन दी जाती है।
  5. करिकुलम की कोई भी लिमिट नहीं होती है। वही सिलेबस कुछ नि‌यमों तक ही सीमित होता है।

ये भी पढ़े: लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर है?

निष्कर्ष

आशा है आपको करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर हैं के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में करिकुलम और सिलेबस में क्या अंतर हैं (What is the difference between Curriculum and Syllabus in Hindi) को लेकर आपका कोई सवाल है, तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को करिकुलम और सिलेबस के बारे में जानकारी मिल सके।

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