आज हम जानेंगे लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर है (Difference between Lawyer and Advocate in Hindi), के बारे में पूरी जानकारी। सिर्फ इंडिया में ही नहीं दुनिया के हर लोकतांत्रिक देश में लोगों को न्याय दिलाने के लिए और कानूनों का पालन सही ढंग से हो, इसके लिए न्यायालय को स्थापित किया गया है, जहां पर जो व्यक्ति इंसाफ का फैसला करता है उसे न्यायाधीश कहा जाता है और जो आरोपी होते हैं उनके केस को जो लड़ता है उसे लॉयर अथवा एडवोकेट कहा जाता है।
लॉयर और एडवोकेट दोनों ही अदालत में आपको आसानी से देखने को मिल जाते हैं और इनका पहनावा भी लगभग एक जैसा ही होता है जोकि काला कोट और सफेद पेंट होता है। हालांकि एक जैसा पहनावा होने के बावजूद भी इनमें कुछ ना कुछ अंतर अवश्य होता है जिसके बारे में काफी कम ही लोगों को जानकारी है। इसलिए हमने इस आर्टिकल के द्वारा लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर होता है, इसकी जानकारी देने का प्रयास किया है। लॉयर और एडवोकेट की सारी जानकारी के बारे में विस्तार से जानने के लिए, इस लेख को अंत तक पढ़े।
लॉयर क्या है? – Who is a Lawyer in Hindi?
लॉयर को हिंदी भाषा में वकील कहा जाता है। इसे कानूनी मामलों की काफी अच्छी जानकारी होती है। एक प्रकार से यह कानूनी मामलों का एक्सपर्ट होता है। लॉयर यानी वकील के पास अदालत में वकालत करने के लिए लाइसेंस भी उपलब्ध होता है। लॉयर बनने के लिए कानून से संबंधित पढ़ाई करनी पड़ती है। एलएलबी जैसे कोर्स पापुलर वकील बनने का कोर्स है। वकील बनने से संबंधित किसी भी कोर्स को पूरा कर लेने के बाद व्यक्ति किसी भी अदालत में प्रैक्टिस कर सकता है।
लॉयर सरकारी भी होते हैं और प्राइवेट भी होते हैं, जो आरोपियों के केस को लड़ने का काम करते हैं और मजबूती के साथ उनका पक्ष अदालत में जज के सामने प्रस्तुत करते हैं ताकि वह अपने क्लाइंट को बचा सके। वकील बनने के लिए आपको 12वीं क्लास में किसी भी Stream को लेना होता है और कम से कम 50 परसेंट अंकों के साथ आपको 12वीं क्लास की एग्जाम को पास करना पड़ता है। 12वीं क्लास की एग्जाम को पास करने के बाद आपको वकील बनने के कोर्स में एडमिशन प्राप्त करने के लिए कॉमन लॉ एंट्रेंस एग्जाम में शामिल होना पड़ता है।
अच्छे परसेंटेज के साथ या फिर अच्छी रैंक के साथ इस एंट्रेंस एग्जाम को पास करना पड़ता है। उसके पश्चात आपको 5 साल के वकील बनने के कोर्स में एडमिशन प्राप्त हो जाता है। अगर आपने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री कम से कम 50 परसेंट अंकों के साथ पास की है तो आप 3 साल के वकील बनने के कोर्स में एडमिशन प्राप्त कर सकते हैं। इंडिया में ऐसी कई कानून से संबंधित यूनिवर्सिटी है, जो सिलेबस में अलग से एग्जाम या फिर मेरिट के द्वारा एडमिशन देती है। वकील बनने हेतु कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट जब आप देते हैं।
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आपको इस टेस्ट को देने के लिए टोटल 2 घंटे का समय दिया जाता है और टेस्ट में टोटल अंक 200 होते हैं, जिसमें अंग्रेजी भाषा के 40 अंक, सामान्य ज्ञान के 50 अंक, गणित के 20 अंक, तार्किक तर्क के 40 अंक और कानूनी योग्यता के 50 अंक शामिल होते हैं। वकील बनने के लिए आपके अंदर कुछ कौशल भी अवश्य होने चाहिए। जैसे आपको अंग्रेजी पढ़ना लिखना और बोलना आना चाहिए, साथ ही आपको कानून की विभिन्न धाराओं के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
इसके अलावा आपकी बातचीत करने की कला अच्छी होनी चाहिए। आपके अंदर अपनी बातों को सही ढंग से प्रस्तुत करने का जज्बा होना चाहिए और हर हाल में सच्चाई के साथ खड़े रहने की हिम्मत भी होनी चाहिए। अगर आप प्राइवेट वकील बनते हैं तो आप कस्टमर से उनके केस को लड़ने के बदले में फीस के तौर पर अपनी कमाई कर सकते हैं। वहीं अगर आप गवर्नमेंट वकील बनते हैं तो गवर्नमेंट आप को सैलरी भी देती है साथ ही आप प्राइवेट वकील के हर काम को भी कर सकते हैं।
एडवोकेट क्या है? – Who is an Advocate in Hindi?
एडवोकेट को हिंदी भाषा में अधिवक्ता कहा जाता है। अगर इसके बारे में जानने का प्रयास करें तो अधिवक्ता एक ऐसा व्यक्ति होता है जो किसी स्पेशल कारण या फिर नीति का पब्लिक तौर पर सपोर्ट करता है या फिर अपने क्लाइंट की एक्टिव हो करके हेल्प करता है अथवा अपने क्लाइंट का बचाव करने का प्रयास करता है। अधिवक्ता भी न्यायालय में बहस करते हैं और अपनी बहस में वह तर्कसंगत बातों का इस्तेमाल करके केस को अपने पक्ष में लाने का प्रयास करते हैं।
एक अधिवक्ता हमेशा अपने क्लाइंट के केस को मजबूती से अदालत में पेश करता है और अपने क्लाइंट के केस को मजबूत बनाने का हर संभव प्रयास करता है। अगर आप 12वीं कक्षा को पास करने के बाद एडवोकेट बनने हेतु वकालत के कोर्स में एडमिशन पाना चाहते हैं, तो आपको कम से कम 60 परसेंट अंकों के साथ बारहवीं की एग्जाम को पास करना है। उसके बाद आपको कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट जैसी एंट्रेंस एग्जाम में शामिल होकर के, इस एंट्रेंस एग्जाम को पास करना है। इसके बाद आपको 5 साल के बीए + एलएलबी के कोर्स में एडमिशन मिल जाएगा।
अगर आप ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद एडवोकेट बनना चाहते हैं, तो आपको कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट को पास करने के बाद 3 साल के वकालत के कोर्स में एडमिशन मिलेगा। इस प्रकार आप 5 साल या 3 साल के कोर्स को पूरा करने के बाद एडवोकेट बन सकते हैं। एडवोकेट बनने की पढ़ाई पूरी करने के बाद व्यक्ति को अपने आप को बार काउंसिल ऑफ इंडिया में रजिस्टर कराना चाहिए। इसके बाद वह प्राइवेट प्रैक्टिस चालू कर सकता है और कस्टमर को कानूनी सलाह भी दे सकता है।
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वह चाहे तो गवर्नमेंट के लिए भी काम कर सकता है या फिर लोकल अथॉरिटी के लिए भी काम कर सकता है। अगर एक एडवोकेट की सैलरी के बारे में बात करें तो इनकी सैलरी इस बात पर डिपेंड करती है कि यह प्राइवेट एडवोकेट है अथवा गवर्नमेंट एडवोकेट है। प्राइवेट एडवोकेट को कोई भी सैलरी नहीं मिलती है। इनकी कमाई कस्टमर के द्वारा मिलने वाली फीस के जरिए होती है। वही गवर्नमेंट एडवोकेट को सरकारी तनख्वाह मिलती है। इसके अलावा उनकी कमाई कस्टमर के द्वारा दी जाने वाली फीस के द्वारा भी होती है।
लॉयर और एडवोकेट में अंतर – Difference between a Lawyer and an Advocate in Hindi
- एडवोकेट, वकील (Lawyer) से बड़े स्तर पर काम करता है और वकील यानी कि लॉयर एडवोकेट से एक पद पीछे होता है।
- यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में एडवोकेट शब्द का यूज नहीं होता वहां सिर्फ लॉयर ही कहा जाता है। दूसरी तरफ यूनाइटेड किंगडम और दूसरे राष्ट्रमंडल देश में एडवोकेट शब्द का यूज होता है।
- एडवोकेट कोर्ट में अपने क्लाइंट के पक्ष को मजबूती के साथ रखता है और अपने क्लाइंट को कानूनी एडवाइज भी देता है। इसके अलावा एडवोकेट की भूमिका वकील के टाइप के हिसाब से चेंज हो सकती है।
- लॉयर और एडवोकेट में एडवोकेट, लॉयर अर्थात् वकील बनने के बाद बनते है, जबकि वकील सिर्फ एलएलएलबी की पढ़ाई के बाद बन सकते है।
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निष्कर्ष
आशा है आपको लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर है के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर है (Difference between a Lawyer and an Advocate in Hindi) को लेकर आपका कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को लॉयर और एडवोकेट के बारे में जानकारी मिल सके।