आज हम जानेंगे च्यूइंग गम कैसे बनती है (How Chewing Gum is made in Hindi), के बारे में पूरी जानकारी। च्यूइंग गम का इस्तेमाल हम सभी खाने के लिए करते हैं। मार्केट में आपको अलग-अलग ब्रांड के द्वारा निर्मित अलग-अलग फ्लेवर वाले च्यूइंग गम मिल जाते हैं। कुछ च्यूइंग गम का टेस्ट तरबूज के स्वाद का होता है तो कुछ च्यूइंग गम का टेस्ट पुदीने का स्वाद का होता है। इसके अलावा भी च्यूइंग गम के बहुत सारे टेस्ट होते हैं। सामान्य तौर पर Chewing Gum हम अपने माइंड को फ्रेश करने के लिए या फिर मुंह के स्वाद को ठीक करने के लिए खाते हैं।
इसके अलावा कुछ लोग शौकिया तौर पर च्यूइंग गम का सेवन करते हैं। कुछ लोगों के मन में यह भ्रांति है कि च्यूइंग गम सूअर की चीजों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है, वहीं कई लोग यह कहते हैं कि Chewing Gum खाने से हमें कुछ बीमारियां भी हो सकती है। हालांकि एक बात तो तय है कि इसके बारे में जितना भी उल्टा सीधा प्रचार किया जाए कुछ लोग इसका सेवन करना कभी नहीं छोड़ते हैं। तो आज के लेख में हमसे जुड़े रहे च्यूइंग गम कैसे बनती है से जुड़ी हुई सभी जानकारियां विस्तार से वो भी हिंदी में, इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
च्यूइंग गम कैसे बनती है? – How is Chewing Gum made in Hindi?

बता दें कि च्यूइंग गम का निर्माण किस प्रकार से होता है, इसकी सही जानकारी तो जो मजदूर च्यूइंग गम कंपनी में काम करते हैं, उनके पास ही होती है परंतु फिर भी प्राप्त जानकारियों के अनुसार Chewing Gum को तैयार करने के जो विधि अधिकतर लोगों को पता है, उसकी इंफॉर्मेशन नीचे बताए अनुसार है।
- च्यूइंग गम को मुख्य तौर पर 3 मुख्य इनग्रेडिएंट के जरिए तैयार किया जाता है, जिसमें मोम, राल और इलास्टोमेर शामिल है। इसमें जो मोम होता है, यह गोंद को नरम बनाने का काम करता है और इलास्टोमेर गोंद को लचीला बनाता है और जो राल होता है, यह चबाने के लायक होता है।
- इसमें मीठापन लाने के लिए ग्लूकोज, डेक्सट्रोज़, ग्लूकोज या मकई का सिरप, एरिथ्रिटोल, आइसोमाल्ट, ज़ाइलिटोल, माल्टिटोल, मैनिटोल, सोर्बिटोल, लैक्टिटोल जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है और ग्लिसरीन को इसमें इसलिए मिलाया जाता है ताकि यह अपनी नमी बरकरार रखें।
- इसकी निर्माण विधि में सॉफ्टनर का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि तैयार होने वाला Chewing Gum नरम और लचीला बना रहे।
- च्यूइंग गम को मनपसंद टेस्ट देने के लिए उसमें अलग-अलग फ्लेवर मिलाए जाते हैं जैसे कि अगर किसी Chewing Gum को पुदीने का टेस्ट देना है तो उसमें पुदीना की पत्तियां मिलाई जाती है। इसके अलावा Chewing Gum को खट्टा टेस्ट देने के लिए टारटरिक, साइट्रिक, लैक्टिक तथा फ्यूमरिक एसिड जैसे एसिड का इस्तेमाल होता है।
च्यूइंग गम की क्वालिटी को और उसके कठोरपन को बनाए रखने के लिए इसमें Sorbitol, Maltitol, Isomalt, Mannitol और Starch का भी इस्तेमाल होता है।
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च्यूइंग गम का इतिहास क्या है? – What is the history of Chewing Gum in Hindi?
बता दें कि यह चीज कोई आज की नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल पाषाण काल से ही अलग-अलग रूपों में किया जा रहा है। तकरीबन 6000 साल पुराना च्यूइंग गम फिनलैंड देश के कीरिक्की में मौजूद है, जिसके ऊपर दांत के निशान है। प्राप्त जानकारियों के अनुसार ऐसा भी पता चला है कि यूनान देश में भी प्राचीन काल में लोगों के द्वारा इसका सेवन किया जाता था। इसके अलावा यूनानीयों ने भी मेस्टिक गम को चबाया था, जिसका निर्माण मेस्टिक पेड़ की छाल से होता था।
ऐसा कहा जाता है कि मैंस्टिक गम मुंह के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता था। इस प्रकार आप यह समझ सकते हैं कि दुनिया की हर सभ्यता ने किसी न किसी चीज को गम के तौर पर चबाया था, परंतु इसका व्यवसायीकरण अमेरिका देश में हुआ था। अमेरिकी इंडियन ने स्प्रूस पेड़ के रस से तैयार हुए राल को चबाया था। इसके साथ ही John४ John में, जॉन बी नाम का पहला व्यावसायिक गम न्यू इंग्लैंड में विकसित हुआ था और इसे बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध करवाया गया था।
साल 1850 में पैराफिन मोम बनाया गया था जो धीरे-धीरे स्प्रूस च्यूइंग गम से भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया। साल 1860 के दशक में चबाने वाली च्यूइंग गम को पहली बार जॉन कोलगन, लुइसविले, केंटकी फार्मासिस्ट के द्वारा बनाया गया था, जिसे “टॉफी टोला” का नाम दिया गया था।
च्यूइंग गम के फायदे क्या है? – What are benefits of having Chewing Gum in Hindi?
च्यूइंग गम को खाने से हमारे मुंह की अच्छी प्रकार से एक्सरसाइज होती है जिसके कारण हमारे मुंह को धीरे-धीरे सही आकार मिलता है। इसके अलावा मुंह की जो मांसपेशियां हैं, वह भी अच्छे तरीके से काम करने लगती हैं, साथ ही अगर आप दैनिक तौर पर Chewing Gum चबाते हैं, तो इससे आपके दांतों में जो खाना जाकर जम जाता है, वह भी बाहर निकल जाता है, साथ ही आपके दांतों की सफाई भी होती है, जिसकी वजह से दांतों में कीड़े लगने की समस्या काफी कम ही देखने को मिलती है।
इसके अलावा च्यूइंग गम चबाने के बेनिफिट के बारे में बात करें तो इसे खाने से दिमाग में ब्लड सरकुलेशन अच्छा होता है जिसकी वजह से हमारे दिमाग की नसों को सही मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होता है, साथ ही इसे चबाने से हमारे मुंह के अंदर सलाइवा की अच्छी मात्रा पैदा होती है, जो मुंह के स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है। फ्लेवर वाले Chewing Gum चबाने से मुंह की दुर्गंध भी कुछ समय के लिए दूर होती है, साथ ही ऐसे लोग जो धूम्रपान की आदत से छुटकारा पाना चाहते हैं, वह भी Chewing Gum चबा सकते हैं।
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च्यूइंग गम के नुकसान क्या है? – What damages are caused while having Chewing Gum in Hindi?
च्यूइंग गम को तैयार करने में आर्टिफिशियल चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए अत्यधिक मात्रा में इसे खाने पर आपके दातों में प्रॉब्लम पैदा हो सकती है, साथ ही आपके जबडे को भी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा ज्यादा इसे खाने से आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या भी हो सकती है। Chewing Gum खाने से आपका पाचन तंत्र भी खराब हो सकता है क्योंकि चिंगम को डाइजेस्ट होने में काफी समय लगता है। कभी कबार यह गले में भी अटक जाता है जिससे आपको प्रॉब्लम हो सकती है।
च्यूइंग गम के खराब होने का समय? – What is the expiry of Chewing Gum in Hindi?
आपने एक बात पर गौर किया होगा कि जब आप मार्केट से कोई च्यूइंग गम खाने के लिए लेते हैं, तब उसके पैकेट पर शायद उसकी एक्सपायरी डेट नहीं लिखी हुई होती है जिसका अर्थ यह निकाला जा सकता है कि इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आप Chewing Gum को किसी गर्म जगह में रखते हैं तो यह धीरे-धीरे ऊपर से टाइट हो जाता है परंतु इसके बावजूद इसके अंदर नमी बरकरार रहती है परंतु अगर आप इसे पानी में रखते हैं, तो यह खराब होने लगता है। इस प्रकार पानी के संपर्क में आने के बाद इसे खाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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क्या च्यूइंग गम बनाने मे सूअर का प्रयोग होता है? – Is Pig used in the making of Chewing Gum in Hindi?
कई जगह पर यह कहा जाता है कि च्यूइंग गम तैयार करने में सूअर का यूज़ होता है, परंतु ऐसा कोई भी प्रूफ नहीं मिला है। हालांकि ऐसी संभावना हो सकती है क्योंकि इसके अंदर कुछ ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं, जो सूअर के मांस से प्राप्त होती है परंतु वास्तविक बात क्या है इसके बारे में कोई भी नहीं जानता है। हालांकि एक बात तो तय है कि Chewing Gum खाने से आदमियों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि इसके अंदर पोलीइथाईलीन का इस्तेमाल होता है। यह एक प्रकार का प्लास्टिक होता है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक से बनी हुई चीजों को तैयार करने में किया जाता है।
निष्कर्ष
आशा है आपको च्यूइंग गम कैसे बनती है के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में च्यूइंग गम कैसे बनती है (How Chewing Gum is made in Hindi) को लेकर आपका कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को च्यूइंग गम कैसे बनती है के बारे में जानकारी मिल सके।