आज हम जानेंगे ग्रीन हाउस गैस क्या है (Green House Gas kya hai in Hindi), के बारे में पूरी जानकारी। ग्रीन हाउस प्रभाव के अंतर्गत कुल 6 गैस आती हैं, जिनमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन, ओज़ोन तथा अन्य कई प्रकार की गैस शामिल है, जिनके स्त्रोत अलग-अलग है। कुछ ग्रीन हाउस में शामिल गैस ऐसी है, जो केरोसीन, पेट्रोल, कोयला जलाने पर पैदा होती है। ग्रीन हाउस इफेक्ट के कुछ फायदे भी हैं, तो वहीं इसके कुछ नुकसान भी है।
अगर आप भी ग्रीन हाउस इफेक्ट के बारे में जानना चाहते हैं, साथ ही आपको इस बात की भी जानकारी प्राप्त करनी है कि ग्रीन हाउस इफेक्ट क्या होता है, तो आपको हमारा यह लेख आप के लिए ही हैं। ग्रीन हाउस गैस क्या है, ग्लोबल वार्मिंग क्या होती है और ग्रीन हाउस प्रभाव को कम कैसे कर सकते हैं आदि सारी जानकारी के बारे में विस्तार से जानने के लिए, इस लेख को अंत तक पढ़े।
ग्रीन हाउस गैस क्या है? – What are Green House Gases in Hindi?
बात करें अगर ग्रीन हाउस गैस की तो यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत हमारी धरती की सत्तह और वायुमंडल गरम रहते है और इसी की वजह से जिंदगी को जीने के लायक तापमान बना हुआ रहता है। परंतु इंसान अपनी आवश्यकता की क्रिया, जैसे कि कंडा जलाना, इंधन जलाना, कोयला जलाने के कारण इस गैस की प्राकृतिक प्रक्रिया को प्रभाव पहुंचा रहा है।
यह गैसें उस्मा अर्थात गर्मी को सोख लेती है, जिसके कारण हमारी धरती का तापमान तेजी के साथ बढ़ जाता है। कहने का मतलब है कि जब हमारी धरती पर सूरज की किरणें आती हैं, तब सूरज की कुछ किरणे हमारी धरती पर ही अवशोषित हो जाती है और उसकी बाकी बची हुई किरने होती हैं, वह वापस चली जाती है। यह सभी प्रक्रिया धरती के वायुमंडल में जो ग्रीन हाउस होता है, इसके कारण ही होती है जिसे बैक रेडिएशन कहा जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग क्या होती है? – What is Global Warming in Hindi?
वायुमंडल में लगातार ग्रीन हाउस गैस की बढ़ोतरी होने के कारण पृथ्वी का तापमान हर साल बढ़ रहा है, जिसकी वजह से वायुमंडल में उस्मा की बढ़ोतरी भी हो रही है। इसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ग्लोबल वार्मिंग को हिंदी भाषा में वैश्विक उष्मीकरण कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ और ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार तेज हो गई है जिससे कि कुछ इलाकों के डूबने की संभावना भी काफी बढ़ गई है।
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ग्रीन हाउस प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है? – How to decrease the effect of Global Warming in Hindi?
जैसा कि आप जानते हैं कि पेड़ ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के लिए बहुत ही लाभदायक माने गए हैं। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं और बदले में वायुमंडल में ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ग्रीन हाउस के असर को कम करने के लिए भारत में अधिक से अधिक पेड़ लगाने का प्रयास करना चाहिए। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के जितने भी देश है, उन सभी देशों में अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए जाने चाहिए।
इसके अलावा ऐसे वाहनों के इस्तेमाल पर ज़्यादा जोर देना चाहिए, जो सीएनजी गैस पर चलते हैं या फिर बायोडीजल पर चलते हैं। ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के लिए प्लास्टिक की चीजों का उपयोग और उत्पादन कम करना चाहिए। पेट्रोल तथा डीजल से चलने वाली गाड़ियों के कम इस्तेमाल पर ज़्यादा जोर देना चाहिए और उन तमाम चीजों पर नियंत्रण लगाना चाहिए, जो प्रदूषण पैदा करने का काम करती है।
ग्रीन हाउस प्रभाव के फायदे क्या हैं? – What are the benefits of the Green House Gases in Hindi?
नीचे हमने आपको ग्रीन हाउस के एडवांटेज अथवा ग्रीन हाउस के बेनिफिट बताए हैं।
- हमारी पृथ्वी का जो तापमान है, वह सही लिमिट पर ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण ही है।
- धरती पर जो मौसम चेंज होता रहता है, वह ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण ही होता है।
- सूरज में से निकलने वाले खराब प्रकाश को ग्रीन हाउस इफेक्ट सोख लेता है। जो सुरक्षित रोशनी होती है, वही पृथ्वी पर आती है।
- यह धरती के तापमान को कंट्रोल करता है।
- ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण हीं बर्फ का पानी में और पानी का भाप में बदलाव होता है। भाप से बरसात होती है, जिससे हमें पीने के लायक पानी मिलता है।
ग्रीन हाउस प्रभाव के नुकसान क्या है? -What are the harms of Green House Effect in Hindi?
नीचे जानिए की ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण कौन-से साइड-इफेक्ट अथवा नुकसान होते हैं।
- इसके अंतर्गत लगातार गैस की बढ़ोतरी हो रही है। इसकी वजह से धरती का तापमान भी लगातार तेजी के साथ बढ़ रहा है, जो इंसानों को अलग-अलग प्रकार से नुकसान पहुंचा रहा है।
- तापमान बढ़ने के कारण बरसात का कम होना और रेगिस्तान में बाढ़ आने की समस्याएं भी देखी जा रही है।
- ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ही ग्लेशियर की बर्फ पिघल रही है।
- अगर इसका प्रभाव इसी प्रकार से बढ़ता रहेगा तो आगे चलकर के धरती का तापमान काफी तेज हो जाएगा और समुद्र का जलस्तर भी बढ़ जाएगा। जिससे हवा में काफी गर्मी आएगी और पीने के लायक पानी मिलने की संभावना काफी कम हो जाएगी।
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बता दें कि ग्रीनहाउस गैस की सही मात्रा बता पाना मुश्किल है क्योंकि इसकी मात्रा कभी घट जाती है और कभी बढ़ जाती है।
सभी ग्रीन हाउस गैसों की सूची
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
- मीथेन (CH₄)
- क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFCs)
- जलवाष्प (H₂O)
- ओज़ोन (O₃)
- नाइट्रस डाइऑक्साइड (N₂O)
सभी ग्रीन हाउस गैसों के बारे में जानकारी
नीचे हमने आपको ग्रीन हाउस गैसों के नाम और उनके बारे में कुछ जानकारी प्रदान की है।
1. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
इंसान या फिर जानवर जब सांस छोड़ते हैं, तब कार्बन डाइऑक्साइड गैस बाहर निकलती है और यह प्रक्रिया इंसानों के पैदा होने से लेकर के इंसानों के मरने तक जारी रहती है। इसके अलावा केरोसीन, कोयला, डीजल, पेट्रोल जलाने पर भी कार्बन डाइऑक्साइड गैस बाहर निकलती है। इसके इफेक्ट को कम करने के लिए अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए। पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस को सोख लेते हैं।
2. मीथेन (CH₄)
गोबर, खेतों में सड़ने वाला मलबा जैसी जगहों से मीथेन गैस पैदा होती है। साथ ही यह प्राकृतिक गैस की प्रक्रिया, तेल के उत्पादन और कोयले से भी निकलती है।
3. जलवाष्प (H₂O)
इस प्रकार की गैस का ग्रीन हाउस गैस में सबसे बड़ा किरदार होता है। यह वातावरण को गर्म रखने में प्रभावी है।
4. क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFCs)
यह गैस डायरेक्ट वायुमंडल में मिक्स हो जाती है। मिक्स होने पर वायुमंडल में ओज़ोन की परत में छेद बनना चालू हो जाता है और इसकी वजह से पराबैंगनी किरणें धरती की तरफ आना चालू हो जाती हैं।
5. ओज़ोन (O₃)
यह टोटल 3 परमाणु से मिलकर तैयार होती है। यह एक प्राकृतिक गैस होती है, जो पराबैंगनी किरणों के फल स्वरुप पैदा होती है।
6. नाइट्रस डाइऑक्साइड (N₂O)
यह एक ऐसी गैस होती है, जिसे लाफिंग गैस कहा जाता है। इसे सूंघने पर इंसानों को बेमतलब हंसी आती है। यह गैस औद्योगिक प्रक्रिया के साथ ही साथ जीवाश्म ईंधन को जलाने से तैयार होती है।
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ग्रीन हाउस गैसों के स्त्रोत क्या है? – What is the source of Green House Gases in Hindi?
जैसा कि आप जानते हैं कि ग्रीन हाउस गैस की लिस्ट में कुल 6 गैस के नाम आते हैं, जिनके अलग-अलग स्त्रोत होते हैं। नीचे हमने आपको उन सभी 6 गैसों के स्त्रोत के बारे में जानकारी दी है।
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) : केरोसिन, कोयला, पेट्रोल, डीजल जलाने पर तथा इंसानों और जानवरों के सांस बाहर छोड़ने पर भी यह गैस बाहर निकलती है।
- मीथेन (CH₄) : गोबर, तेल उत्पादन, कोयला और सड़ने वाली चीजों से यह गैस प्राप्त होती है।
- जलवाष्प (H₂O) : यह पानी से प्राप्त होती है।
- क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFCs) : यह मानव निर्मित गैस है।
- ओज़ोन (O₃) :सूरज की पराबैंगनी किरणों के फल स्वरुप यह गैस प्राप्त होती है।
- नाइट्रस डाइऑक्साइड (N₂O) : जीवाश्म ईंधन को जलाने से और औद्योगिक प्रक्रिया के कारण यह गैस पैदा होती है।
ग्रीन हाउस गैस (Green House Gas) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ग्रीन हाउस गैस क्या है?
6 गैस का समूह।
ग्रीन हाउस प्रभाव के अंतर्गत कुल कितनी गैस आती हैं?
6।
ग्रीन हाउस प्रभाव के अंतर्गत मानव निर्मित गैस कौन-सी हैं?
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFCs)।
ग्रीन हाउस प्रभाव के अंतर्गत मानव द्वारा छोड़ी जाने वाली गैस कौन-सी हैं?
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)।
कौन-सी ग्रीन हाउस गैस सूरज की पराबैंगनी किरणों से बनती हैं ?
ओज़ोन (O₃)।
कौन-सी ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में ओज़ोन की परत में छेद बनाने के लिए जिम्मेदार हैं?
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFCs)।
निष्कर्ष
आशा है आपको ग्रीन हाउस गैस क्या है के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में ग्रीन हाउस गैस क्या है (What are Green House Gases in Hindi) को लेकर आपका कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को ग्रीन हाउस गैस क्या है के बारे में जानकारी मिल सके।