महात्मा गांधी की जीवनी? जहा घूमने को दिल करता है घूम लेते है, जो खाने को दिल करता है खा लेते है। अगली बार भारत देश का प्रधान मंत्री कौन बनेगा ये भी आप ही फैसला करते है और भी ऐसी बहुत iiसारी चीजें है जो आप खुद फैसला करते है लेकिन कभी ये अपने सोचा कि ये आजादी हमे कहा से मिली। 1946 तक हम अंग्रेजों के गुलाम थे जिस आज़ादी से हम आज जी रहे है बे आजादी 1946 से पहले हमे नही थी। लेकिन आज हम बिल्कुल स्वतंत्र है आज हम बो सब कुछ कर सकते है जो पहले नही कर सकते थे। 1947 में हमारा देश आजाद हुआ। जो आजादी हमे आज मिली है उस आज़ादी के पीछे का सबसे बड़ा चहरा का नाम महात्मा गांधी थे। उसके बाद हमारे देश मे कानून बना, नई – नई नीतिया बनी जिससे देश को चलाया जा सके।mahatma gandhi biography in hindi, biography of mahatma gandhi in hindi

महात्मा गांधी का जीवन परिचय | Mahatma Gandhi Biography in Hindi?
biography of mahatma gandhi in hindi? महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गांधीजी के पिता का नाम करमचंद गाँधी था और गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई जोकि वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और बे बहुत धार्मिक सभाब की थीं। वह नियमित रूप से व्रत रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। जब गांधीजी लोगो के बीच प्रसिद्ध होने लगे तो उन्हें अलग – अलग प्रकार के नमो से जान्ने लगे जैसे बापूजी, गांधीजी और देश प्रेमी के नमो से प्रशिद्ध हुए। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।
भारत को अंग्रेजों से मुक्त करा कर स्वतंत्र देश बनाना चाहते थे। इस लिए गांधी जी ने आंदोलन सुरु किया और इसमें लोग भी बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिये। इस आंदोलन के प्रमुख नेता महात्मा गांधी थे। गांधी जी दिल के बहुत ही साफ,नेक और सहनशील आदमी थे। गांधी जी हिंसा के विरुद्ध थे। बे लोगो को हमेशा सही और सत्य के रास्ते पर चलने की सलाह देते थे और बे खुद भी चलते थे। गांधीजी ने भारत को जब आजाद करवाया तो उस वक्त भी उन्होंने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चल कर ही आजादी दिलवाई थी। गांधीजी को भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है
सुभाष चन्द्र बोस जी ने 6 July 1944 को रंगून रेडियो के माध्यम से गांधी जी का नाम जारी प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया था। गांधी जी पूरे बिशब के लिए एक मिसाल है क्यों कि उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चल कर अपने देश के लिए इतने अच्छे – अच्छे काम किये है कि लोग उन्हें कभी नही भूल सकती। गांधीजी का जीबन बहुत ही साधारण था ना किसी से झगड़ा ना किसी को बुरा भला कहते थे। गांधीजी अहिंसा के पुजारी के नाम से भी जाने जाते थे। महात्मा का जन्म गुजरात के छोटा सा शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था। थे जो कि एक छोटा सा सहर है।
2 अक्टूबर को हमारे पूरे भारत देश मे अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता हैं। गांधी जी की सबसे खास बात, बे हमेशा धोती व सुत से बना हुआ साल पहनते थे और हाथ मे लकड़ी का लाठी हुआ करता था। गांधीजी शाकाहारी थे। 1992 में गांधीजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का बागडोर संभाला। उन्होंने 1930 में ‘नमक सत्याग्रह’ आन्दोलन की सुरुआत की और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन। इन दोनों आन्दोलन में भी लोगो ने अपनी रुचि दिखाई। भारत के स्वतंत्रता के लिए गांधीजी संघर्ष कर रहे थे तब उन्हें कई बार जेल का सामना रहना पड़ा था।
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | महात्मा गांधी जीवन परिचय |
1 | पूरा नाम | मोहनदास करमचंद गाँधी |
2 | धर्म | हिन्दू |
3 | जन्म स्थान | 2 अक्टूबर 1869, गुजरात के पोरबंदर में |
4 | माता-पिता | करमचंद गाँधी, पुतलीबाई |
5 | राष्ट्रीयता | भारतीय |
6 | अन्य नाम | राष्ट्रपिता, महात्मा, बापू, गांधीजी |
7 | शिक्षा | यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन |
8 | राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
9 | संतान | 4 पुत्र -: हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास |
10 | पत्नि | कस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया (कस्तूरबा गांधी) |
11 | मृत्यु | 30 जनवरी 1948 |
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन | Mahatma Gandhi’s early life in Hindi?

महात्मा गांधी का विभा सन् 1883 में होगया उस समय उनकी उम्र साढे 13 साल ही था और गांधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरबा था जो महज़ 14 साल की उम्र में सादी करा दिया गया था। जब गांधी जी 15 बर्ष के थे तब पहला संतान घरो में खुशियां ले कर आया लेकिन कुछ ही दिनों में गांधी जी के संतान की मृत्यु हो गई। गांधी जी के पिता करमचन्द गाँधी का भी मृत्यु 1885 में होगया। अपने बच्चे और पिता को एक ही साथ खो देना का दुख बहुत था जिस्से उनके घरों में मातम का माहौल होगया था। बाद में गांधी को चार सन्तान हुईं जिसका नाम हरीलाल गान्धी (1888), मणिलाल गान्धी (1892), रामदास गान्धी (1897) और देवदास गांधी (1900) हुआ।
गांधी जी की मिडिल स्कूल की शिक्षा पोरबंदर में हुई और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट में। पढ़ाई के बिषय में गांधीजी एक औसत छात्र ही थे। सन् 1887 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से पूरा किया। इसके बाद गाँधी जी ने भावनगर के शामलदास कॉलेज में दाखिला लिया पर ख़राब स्वास्थ्य और गृह वियोग के कारण वह अप्रसन्न ही रहे और कॉलेज छोड़कर पोरबंदर वापस चले गए।
महात्मा गांधी का विदेशी शिक्षा और वकालत | Foreign education and advocacy of Mahatma Gandhi in Hindi?
महात्मा गांधी अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे ब्यक्ति थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (किसी की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पाने का अधिकारी, वारिस) बन सकते थे। लेकिन उनके परिबार के एक मित्र जिसका नाम मावजी दवे था उन्होंने सलाह दिया कि अगर गाँधी जी लंदन से बकील की डिग्री हासिल करले तो बे उत्तराधिकारी का पद बहुत ही आसानी से संभाल सकते है।
इसको सुनते ही वर्ष 1888 में गाँधी जी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने के लिए इंग्लैंड रवाना होगये। इंग्लैंड जाने से पहले गांधी जी की माँ ने मासाहारी खाने से दूर रहने को बोला था और साथ ही साथ उन्हें शाकाहारी खाना खाने को बोला था। लेकिन इंग्लैंड में शाकाहारी खाना में गाँधी जी को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्यों कि सुरुआति दिनों में शाकाहारी खाना मिलने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। कभी – कभी तो भूखे ही सोना पड़ता था धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले होटल के बारे में पता लगा लिया।
फिर बादमें ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ में रहने का फैसला लिया। इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढने का सुझाव दिया। बकालत की पढ़ाई पूरा करने के बाद जून 1891 में भारत लौट आये और घर जा कर पाता चला कि उनकी माँ का निधन होगया है।
आगे उन्होंने मुम्बई जा कर बकालत करने लगे लेकिन बहा भी उन्हें निराशा ही मिली क्यों कि मुम्बई में बकालत नही चला। फिर बे राजकोट चले गए जहाँ उन्होंने जरूरतमन्द लोगो के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का काम शुरू किया लेकिन कुछ समय बाद उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा। आख़िरकार सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया।
महात्मा गांधी का भारत आगमन और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना – Mahatma Gandhi’s arrival in India and participating in the freedom struggle
1016 में महात्मा गांधी हमारे देश की आज़ादी के लिए अपने कदम उठाना शुरू किया. 1920 में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद गांधीजी ही कांग्रेस के मार्गदर्शक थे.
प्रथम विश्व युध्द 1914 – 1919 को हुआ था। उसमें गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार को इस शर्त पर पूर्ण सहयोग दिया, कि इसके बाद वे भारत को आज़ाद कर देंगे. लेकिन जब अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया, तो गांधीजी देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाये. इनमें से कुछ आंदोलन निम्नलिखित हैं -:
- असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement] (1920)
- अवज्ञा आंदोलन [Civil Disobedience Movement] (1930)
- भारत छोड़ो आंदोलन [Quit India Movement] (1942)
वैसे तो गांधीजी का पूरा जीबन अलग-अलग आंदोलन करते ही निकल गया. लेकिन उनके द्वारा मुख्य रूप से 5 आंदोलन चलाये गये, जिनमें से 3 आंदोलन संपूर्ण राष्ट्र में चलाये गए और बहुत सफल हुए. गांधीजी द्वारा चलाये गये इन सभी आन्दोलनों को हम निम्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं
प्रमुख आंदोलन अन्य आंदोलन/प्रारंभिक चरण के आंदोलन | Major Movements Other Movements/Early Stage Movements
1. असहयोग आंदोलन (1920)
2. अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन, दांडी यात्रा (1930)
3. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
4. चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह, (1918)
5. खिलाफत आंदोलन (1919)
महात्मा गांधी की मृत्यु कब और कैसे हुई? – When and How did Mahatma Gandhi die?
नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी को गोली मार कर हत्या कर दी थी. नाथूराम गोडसे ने 3 गोलियां गांधी जी को मारी थी। गोली मरते समय गांधी जी के मुँह से निकले अंतिम शब्द ‘हे राम’ थे. उनकी मृत्यु के बाद दिल्ली में राज घाट पर उनका समाधी स्थल बनाया गया।
निष्कर्ष
मुझे पूरा विशवास है की मैंने आप लोगों को महात्मा गांधी की जीवनी? के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को महात्मा गांधी का जीवन परिचय के बारे में समझ आ गया होगा यदि आपका मन में इस लेख को लेकर कोई संदेह है या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होना चाहिए तो इसके लिए आप नीच टिप्पणी लिख सकते हैं आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा अगर आपको मेरा यह लेख mahatma gandhi biography in hindi अच्छा लगा हो या इससे आपको कुछ सिखने को मिला हो तो अपना प्यार और हमारे प्रति लगाव को दिखाने के लिए इस पोस्ट को सोशल नेटवर्क जैसे के फेसबुक, व्हाट्सप्प और ट्विटर इत्यादि पर शेयर करें धन्यवाद…